लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर मोल्डो में सोमवार को हुई छठे दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता में भारत ने चीन से अप्रैल-मई वाली जगह पर वापस जाने पर जोर दिया। भारत ने दो टूक चीन से पांच महीने पहले वाली यथास्थिति को कायम करने को कहा है। हालांकि, पूरी बातचीत के दौरान चीन को भारत की पैंगोंग सो की चोटियों पर पकड़ काफी चुभती रही।
सूत्रों के अनुसार, भारत और चीन जमीन पर एक-दूसरे से बातचीत जारी रखने और स्थिति के उग्र होने से बचने के लिए बातचीत को जारी रखने पर सहमत हुए हैं। सूत्रों ने आगे कहा कि चीन ने भारत द्वारा 29 अगस्त के बाद पैंगोंग सो के दक्षिणी तट की चोटियों पर कब्जा जमाए जाने को लेकर भी बातचीत की। इस दौरान, चीन ने कहा कि भारतीय सेना उस जगह को खाली करे।
14 कोर चीफ लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और उनके संभावित उत्तराधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव के साथ बैठक में शामिल हुए थे। यह बैठक चीन की ओर मोल्डो में हुई थी। तकरीबन 13 घंटे तक चली इस बैठक की शुरुआत सुबह 10 बजे से हुई, जोकि रात 11 बजे तक चली।
दोनों पक्षों के कोर कमांडर एक महीने से अधिक समय के बाद मिले। इस दौरान, दोनों देशों के सैनिकों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर कम से कम तीन बार गोलीबारी की घटनाएं भी हुईं। चार दशकों से भी ज्यादा समय बाद, एलएसी पर फायरिंग हुई थी।
बैठक के बाद चीन ने क्या कहा?
कोर कमांडर स्तर की वार्ता के बाद चीन के विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। मंत्रालय ने कहा कि भारत के साथ कोर कमांडर स्तर की छठे दौर की वार्ता 21 सितंबर को हुई, जिसमें दोनों देश सीमा मुद्दे पर बातचीत आगे जारी रखने और चर्चा करने पर सहमत हुए। चीन सरकार के मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने प्रवक्ता वेंग वेनबिन का हवाला दिया, जिन्होंने कहा, ”भारत और चीन के बीच कल छठे दौर की कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता हुई, जिसमें आगे की चर्चा जारी रखने पर सहमति से पहले दोनों देशों ने वर्तमान सीमा की स्थिति पर अपनी बातें रखी।”
मॉस्को में भारत-चीन के विदेश मंत्रियों ने की थी मुलाकात
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) से अलग 10 सितंबर को रूस के मॉस्को में विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच बैठक हुई थी। इसमें दोनों पक्ष सीमा विवाद हल करने पर एक सहमति पर पहुंचे थे। इन उपायों में सैनिकों को जल्दी से हटाना, तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाई से बचना, सीमा प्रबंधन पर सभी समझौतों एवं प्रोटोकॉल का पालन करना और एलएसी पर शांति बहाल करने के लिए कदम उठाना शामिल था।